आनंद लाइफ ©डॉ आनंद प्रदीक्षित
क्या होता है जब उम्र बढ़ती है
डॉ आनंद प्रदीक्षित
शरीर शिथिल होता है मन व्याकुल होता है यादें बहुत शिद्दत से चारों ओर फैल जाती हैं ।जो चले गए हैं वह मुड़ कर भी नहीं देखते। किसी भी उम्र दराज शख्स को उनकी याद बहुत सताती है जो कभी उसकी जिंदगी में थे लेकिन अब उन सब को उसकी जरूरत नहीं रही क्योंकि वह अब उम्र दराज हो चुका है ।किसी काम का नहीं है किसी के काम नहीं आ सकता, किसी की सिफारिश नहीं कर सकता ,किसी की सिफारिश नहीं कर सकता किसी की मदद नहीं कर सकता, किसी के साथ नहीं चल सकता बल्कि उसे ही किसी के साथ की जरूरत होती है ।आंखें अपनी उम्र के पड़ाव को खोजते रहती हैं लेकिन सारे पड़ाव धुंध में खो गए होते हैं ।भविष्य भी दिखाई नहीं देता ।मोतियाबिंद केवल आंखों में ही नहीं की सोच में भी हो जाता है ।वह धीरे-धीरे बोझ बन गया है, यह अहसास उसके ऊपर बहुत साल से हावी हो चुका होता है। लोग उसे ना पसंद करते हैं ।वह कुरूप हो चुका है ।उसकी त्वचा में वह चमक नहीं रही उसकी सोच इतनी पैनी नहीं रही ।जो आवाज अपनी बुलंदी के लिए जानी जाती थी वह कराह में बदल चुकी है।
वह कदम जो पूरे परिवार को साधने में अडिग रहते थे वह लड़खड़ा ने लगे हैं ।शरीर के सभी अंग प्रत्यंग कमजोर पड़ चुके हैं और एक दूसरे को कमजोर करने में लगे हुए हैं। लोग उसकी अक्षमता पर हंसते हैं जैसे कि मानो वो कभी बूढ़े ही नहीं होंगे। लोग उसे बुड्ढा बुढ़िया कह कर मजाक उड़ाने लगे हैं।उसे खडूस ही नहीं बेवकूफ भी समझा जाने लगा है इसे कहते हैं बुढ़ापा😊
उपाय???
सोचना चाहिए कि
लोग लोग लोग जो कहते हैं कहते रहें
वृद्ध होना सौभाग्य है ।
आनंद में रहिये