वो क्यों भूल चले बाबुल का देश?©डॉ आनंद प्रदीक्षित
एक गीत के बोल देखिए " मैं तो भूल चली बाबुल का देश पिया का घर प्यारा लगे "एक निहायत ही व्यर्थ किस्म का विचार और सुझाव है जो लड़की को दिया जा रहा है।
जो लड़की इतने साल अपने जन्मदाता मां-बाप के साथ भाई बहनों के साथ रही हो वह पिया के घर पहुंचने पर उनको भूल जाए यह न तो आशा करनी चाहिए ना उसको यह सिखाना चाहिए ।
उस तथाकथित पिया के घर वालों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि जो लड़की आई है वह माता-पिता को क्यों भूल जाए? इसीलिए ऐसे ही ससुराल वालों को इसका दंड मिलता है और उनका बेटा ही उन्हें भूल जाता है ।बहू तो नहीं भूल पाती है पिता के घर को लेकिन बेटा जरूर भूल जाता है अपने मां-बाप को क्योंकि उसे अपनी पत्नी का प्यार ज्यादा प्यारा लगने लगता है। अगर इस तरह के नाटकीय वचन और इस तरह की अपेक्षाएं लड़कियों से ना की जाए तो समाज का कितना भला हो सकता है, यह कोई नहीं सोचता ।
यह निरर्थक और अनावश्यक बात है कि विवाह होते ही कोई लड़की अपने माता-पिता को भूल जाए ।
उसे तो कभी भी नहीं भूलना चाहिए ।माता पिता इसलिए नहीं होते हैं कि उन्हें भुला दिया जाए चाहे लड़की के माता-पिता हो या लड़के के माता पिता ।
ससुराल वालों के प्यार देने से वह अपने माता पिता को क्यों भूल जाए ?भूलना भी नहीं चाहिए नहीं आशा करनी चाहिए।
प्रिय बच्चो, नए समाज की रचना कीजिए। नई सोच अपनाइये ।
यह आनंद सूत्र जीवन में उतारिये अर्थात डॉक्टर आनंद प्रदीक्षित के सूत्र अपना आइए और वैवाहिक जीवन को सुखी बनाइये।